Akhil Katyal (Translator)
Questions for My Body by Eduardo C. Corral
मेरे जिस्म से कुछ सवाल
– एदुआर्दो सी. कोराल
तुम रात में ही क्यों जगते हो
कितने गिरिजा-घरों के अंदर गए हो
कभी बेरहमी ने बचाया है
उसके अंगूठों की लम्बाई याद है
अब और कितना केक खाओगे
कभी पैरों को पेट्रोल में धीरे से डुबोये हो
अभी भी वायरस से डर लगता है
इतनी गर्मी में कैसे सो लेते हो
वो निचले होंठ के नीचे क्या है
कीट्स की कब्र पर हसे थे कि रोये थे
तुमपर हक़ जताया है किसी ने
Fragment by Anna Akhmatova
एक अंश
– आना आख्मतोवा
अंग्रेजी अनुवाद – डी. एम्. थॉमस
और मुझे लगा बस लपटें ही लपटें हैं
फैलती हुई सुबह तक, अनगिनत,
कभी पता ही नहीं चली चीज़ें — वो
अटपटी सी आँखें उसकी – क्या रंग थीं?
सब कुछ थरथराता सा था, गाता सा था, और
तुम मेरे दोस्त थे कि दुश्मन,
था वो सर्दी या गर्मी का मौसम?
Why is our century worse than any other? by Anna Akhmatova
हमारी सदी बाकी सदियोंसे बदतर क्यों है?
– आना आख्मतोवा
अंग्रेजी अनुवाद – डी. एम्. थॉमस
हमारी सदी बाकी सदियों से बदतर क्यों है?
क्या इसलिए की डर और मातम से सुन्न
उसने अंदर तक खुरेदा है एक काले घाव को
और नहीं पायी है राहत?
मग़रिब की ओर सूरज गिर रहा है,
शहरों की छतें उसी की चमक में हैं,
अभी से ही मौत कुछ घरों पर मुहर लगा रही है
कौवे बुला रही है और कौवे क्षितिज पर हैं
One Art by Elizabeth Bishop
एक कला
– एलिज़ाबेथ बिशप
खोने की कला इतनी मुश्किल नहीं है
कितनी ही चीज़ें खुद खोने पर तुली हैं
कि उनका खोना कोई तबाही नहीं है।
हर दिन, कुछ न कुछ खो। सह लो झल्लाहट
खोई चाबियों की, गवाई हुई शाम की।
खोने की कला इतनी भी मुश्किल नहीं है।
फिर कोशिश करो और खोने की, तेज़ खोने की:
जगहें, और नाम, और वहां जहाँ तुम हमेशा
जाना चाहती थी। इस सब से कोई तबाही नहीं है।
मैंने अपनी माँ की घड़ी खो दी। और देखो! वो
मेरा पिछला या पिछले के पिछला घर भी गया।
खोने की कला बिलकुल मुश्किल नहीं है।
मैंने दो शहर खोए, प्यारे से। और, उससे भी बड़े,
कितने आयाम जो मेरे थे, दो नदियां, एक महाद्वीप।
उनकी याद आती है पर कोई तबाही नहीं है।
— यहाँ तक की, तुम्हें खोना (वो खिलती सी आवाज़,
वो कहने का ढंग) मैं झूठ नहीं कह रही, ये तो
साफ़ है की खोने की कला कतई मुश्किल नहीं है
चाहे जितना लगे (लिख दो!) कि सारी तबाही यही है।
The Three Oddest Words by Wislawa Szymborska
तीन सबसे अजीब शब्द
– विस्लावा सिम्बोर्सका
Tr. from S. Baranczak & C. Cavanagh’s English tr. of Wislawa Szymborska’s Polish poem ‘Trzy słowa najdziwniejsze’
जब मैं यह शब्द बोलती हूँ – भविष्य,
‘भ’ तो पहले से ही अतीत हो जाता है।
जो मैं बोलती हूँ – ख़ामोशी,
मैं उसे तोड़ती हूँ।
जब बोलती हूँ – शून्य,
एक ऐसी चीज़ बनाती हूँ
जिसे कोई निर्जीव छू नहीं पाता है।
When did it happen? by Mary Oliver
कब हुआ था
– मैरी ओलिवर
कब हुआ था?
“बहुत पहले।”
कहाँ हुआ था?
“बहुत दूर।”
नहीं, बोलो। कहाँ हुआ था?
“मेरे दिल में।”
अभी क्या कर रहा है तुम्हारा दिल?
“याद। याद।”
The Mercy by Joyce Carol Oates
रहम
– जॉइस कैरल ओट्स
कितना कुछ
निर्भर है
कितना कुछ भूलने पर
चूँकि हमारी
पहली ख्वाइशें
हमें कभी
छोड़ के नहीं जातीं
वो चोट जो
याद मिटा दे
रहम का
दूसरा नाम है
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